Biography of A.P.J. Abdul Kalam (ए.पी.जे. अब्दुल कलाम की जीवनी)
अब्दुल कलाम का जन्म 15 october 1915 मे तमिलनाडु के रामेश्वरम मे हुआ था। उनका पूरा नाम अवुल पकिर जैनुलअबिदिन अब्दुल कलाम है। वह एक मुस्लिम परिवार से थे उनकी माता एक गृहणी और पिता नाविक थे। उनके पिता का नाम जैनुलअबिदिन और माता का नाम अशिअम्मा था। उनके परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नही थी इसलिए उन्हें छोटी उम्र मे ही काम करना पड़ता था। अपने पिता की मदद के लिए अब्दुल कलाम स्कूल के बाद समाचार वितरण का कार्य करते थे। स्कूल के दिनों मे कलाम पढ़ाई लिखाई मे तो ठीक-ठाक थे लेकिन नई चीजें सीखने के लिए हमेशा तैयार रहते थे। उनके अंदर नई चीजें सीखने की बहुत चाहत थी। उन्होंने अपनी स्कूल की पढ़ाई रामनाथपुरम स्चत्वार्ज मेट्रीकुलेशन पूरी की और तिरुचिरापल्ली के सेंट जोसेफ कॉलेज मे दाखिला लिया वहाँ से उन्होंने 1954 में भौतिक विज्ञान में स्नातक किया। सन 1955 मे वह मद्रास चले गए वहां से अब्दुल कलाम ने एयरोस्पेस इंजीनियरिंग की शिक्षा प्राप्त की और 1960 में कलाम ने मद्रास इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी से इंजीनियरिंग की पढाई पूरी की। अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद वह रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) मे वैज्ञानिक के पद पर भर्ती हुए। अब्दुल कलाम ने अपने कैरियर का आरम्भ सेना के लिए एक छोटे हेलीकॉप्टर का डिजाईन बना कर किया। उनको (डीआरडीओ) मे अपने काम से सन्तुष्टी नही मिल रही थी। अब्दुल कलाम इंडियन नेशनल कमेटी फॉर स्पेस रिसर्च’ के सदस्य भी थे। इसी दौरान उन्हें विक्रम साराभाई के साथ काम करने का मौका मिला जो काफी प्रसिद्ध अंतरिक्ष वैज्ञानिक थे। उसके बाद 1969 में उनका स्थानांतरण भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) मे हुआ था। यहाँ वह भारत के सेटेलाइट लॉन्च व्हीकल परियोजना के निदेशक के पद पर नियुक्त हुए थे। इस परियोजना को सफलता मिली और सन 1980 मे भारत का प्रथम उपग्रह (रोहिणी) को पृथ्वी की कक्षा मे स्थापित किया गया। कलाम के लिए (ISRO) मे शामिल होना उनके जीवन का सबसे अहम मोड़ था। जब उन्होंने सेटेलाइट लॉन्च व्हीकल परियोजना मे अपने काम की शुरुआत की थी तो उन्हें लगता था की यही वो काम है जिसमे उनका मन लगता है। सन 1963-64 के दौरान उन्होंने अमेरिका के अन्तरिक्ष संगठन नासा की भी यात्रा की थी। सतर अस्सी के दशक मे अपने काम की सफलता से कलाम भारत मे बहुत प्रसिद्ध हो गए थे। उनका नाम देश के बड़े वेज्ञानिको मे शामिल हो चुका था। भारत के ‘इंटीग्रेटेड गाइडेड मिसाइल डेवलपमेंट प्रोग्राम’ की शुरुआत अपनी ही देख रेख मे की थी। इस परियोजना के मुख्य कार्यकारी खुद अब्दुल कलाम थे। इस परियोजना से भारत को अग्नि और पृथ्वी जैसी मिसाइलें मिली थी। डॉ कलाम जुलाई 1992 से लेकर दिसम्बर 1999 तक प्रधानमंत्री के वैज्ञानिक सलाहकार तथा रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) सचिव थे। भारत मे दूसरा परमाणु परीक्षण इसी दौरान हुआ था जिसमे उन्होंने बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। उस समय मिले मीडिया कवरेज के कारण वे देश के सबसे बड़े परमाणु वैज्ञानिक बन गए। डॉ. कलाम ने वर्ष 1998 में हृदय चिकित्सक सोमा राजू के साथ एक कम कीमत का (कोरोनरी स्टेंट) का विकास किया था। जिसको कलाम-राजू स्टेंट का नाम दिया गया।
जब कलाम भारत के राष्ट्रपति बने
एक वैज्ञानिक के तौर पर उनके महान कार्य और उपलब्धियों के कारण (N.D.A.) की गठबंधन सरकार ने वर्ष 2002 में उन्हें राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाया था। कलाम ने अपने प्रतिद्वन्दी लक्ष्मी सहगल भारी अंतर से पराजित किया था। उन्होंने 25 जुलाई 2002 को भारत के 11वें राष्ट्रपति के रूप मे शपथ लिया था। कलाम भारत के तीसरे ऐसे प्रधानमंत्री थे जिन्हें राष्ट्रपति बनने से पहले ही भारत रत्न दिया जा चुका था। इससे पहले डॉ राधाकृष्णन और जाकिर हुसैन को राष्ट्रपति बनने से पहले भारत रत्न से सम्मानित किया गया था। उस समय उन्हें जनता का राष्ट्रपति कहा जाता था।अब्दुल कलाम के पुरस्कार और सम्मान
डॉ. कलाम को उनके देश और समाज के लिए किये गए महान कार्यों के लिए अनको पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। करीब 40 विद्यालयों ने उन्हें मानद डॉक्टरेट की उपाधि दी थी। भारत सरकार ने उन्हें पद्म भूषण, पद्म विभूषण, और सबसे बड़े नागरिक सम्मान भारत रत्न से नवाजा था।
वर्ष 2014 मे एडिनबर्ग विश्वविद्यालय ब्रिटेन ने उन्हें (डॉक्टर ऑफ साइंस) से सम्मानित किया था।
वर्ष 2012 में साइमन फ्रेजर विश्वविद्यालय ने उन्हें डॉक्टर ऑफ लॉ (मानद) से सम्मानित किया था।
वर्ष 2011 मे (IEEEE) ने उन्हें अपने यहाँ मानद की सदस्यता दे कर सम्मानित किया था।
वर्ष 2010 में वाटरलू विश्वविद्यालय ने उन्हें डॉक्टर ऑफ इंजीनियरिंग से सम्मानित किया था।
वर्ष 2009 मे ऑकलेंड विश्वविद्यालय ने उन्हें अपने यहाँ मानद डॉक्टरेट की उपाधि देकर सम्मानित किया था।
वर्ष 2009 मे (ASME) फॉउन्डेशन सन्युक्त राज्य अमेरिका ने हुवर मेडल दिया था।
वर्ष 2009 मे कैलिफोर्निया प्रौद्योगिकी संस्थान , संयुक्त राज्य अमेरिका ने उन्हें अंतर्राष्ट्रीय करमन वॉन विंग्स पुरस्कार दिया था।
वर्ष 2008 में नानयांग प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय , सिंगापुर ने उन्हें डॉक्टर ऑफ़ इंजीनियरिंग से सम्मानित किया था।
वर्ष 2007 में रॉयल सोसाइटी , ब्रिटेन ने चार्ल्स द्वितीय पदक दिया था।
वर्ष 2007 में वॉल्वर हैम्प्टन विश्वविद्यालय , ब्रिटेन ने उन्हें साइंस की मानद डाक्टरेट से सम्मानित किया था।
वर्ष 2000 में अल्वर्स रिसर्च सैंटर, चेन्नई ने रामानुजन पुरस्कार दिया था।
वर्ष 1998 में भारत सरकार से वीर सावरकर पुरस्कार मिला था।
वर्ष 1997 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस से राष्ट्रीय एकता के लिए इंदिरा गांधी पुरस्कार मिला था।
वर्ष 1997 में भारत सरकार ने उन्हें भारत रत्न देकर सम्मानित किया था।
वर्ष 1994 में इंस्टिट्यूट ऑफ़ डायरेक्टर्स (भारत) ने विशिष्ट फेलो से सम्मानित किया था।
वर्ष 1990 में भारत सरकार द्वारा पद्म विभूषण देकर सम्मानित किया गया।
वर्ष 1981 में भारत सरकार द्वारा पद्म भूषण देकर सम्मानित किया गया।
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